साल 1995 में आंध्र प्रदेश की राजनीति में कुछ ऐसा हुआ था जिसे भूला नहीं जा सकता। उस वक्त चंद्रबाबू नाडयू ने अपने ससुर एनटीआर के खिलाफ बगावत करके पार्टी और सीएम की कुर्सी दोनों छीन ली थीं।


महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के बागी होने के बाद न केवल महाविकास अघाड़ी की सरकार पर बल्कि शिवसेना पर भी संकट के बादल मंडरा रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने यहां तक कह दिया कि अगर विधायक सामने आकर कह दें कि वह उनके नेतृत्व में काम नहीं करना चाहते तो वह न केवल मुख्यमंत्री पद से बल्कि शिवसेना अध्यक्ष के पद से भी इस्तीफा दे देंगे। उधर शिंदे ने दावा कर दिया है कि उनकी शिवसेना असली है। 

जो स्थिति आज महाराष्ट्र में है वही स्थिति कभी आंध्र प्रदेश में भी हो गई थी। उस वक्त चंद्रबाबू नायडू ने अपने ससुर एनटीआर को धोखा देकर तेलगुदेशम पार्टी (टीडीपी) पर कब्जा कर लिया था। एनटी  रामा राव नही तेलगुदेशम पार्टी की स्थापना की थी। प्रधानमंत्री मोदी भी कई रैलियों में चंद्रबाबू नायडू को धोखेबाज बताकर हमला बोल चुके हैं। आइए जानते हैं कि 1995 में आखिर क्या हुआ था जिसके बाद टीडीपी की बागडोर चंद्रबाबू नायडू के हाथों में आ गई। 

फिल्मों से फेमस हुए थे एनटी रामाराव

एनटी रामाराव का पूरा नाम था नंदमूरि तारक रामाराव। वह फिल्मों में अभिनय भी करते थे। देवताओं के रोल करके उन्हें काफी प्रसिद्धि मिली और पसंद किया जाने लगा। इके बाद वह राजनीति में कूदे और टीडीपी पार्टी बना ली। वह कांग्रेस के खिलाफ थे। चंद्रबाबू नाडयू पहले कांग्रेस सरकार में मंत्री थे। राजनीति में रहते हुए ही वह एनटी रामाराव के करीब आए।